भारतीय संविधान की प्रस्तावना और विशेषताएँ
अध्याय 4: भारतीय राजव्यवस्था
भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble of the Indian Constitution): प्रस्तावना संविधान का परिचय है। यह संविधान के दर्शन, आदर्शों और उद्देश्यों को संक्षेप में दर्शाती है। इसे संविधान की 'कुंजी' भी कहा जाता है। उदाहरण: प्रस्तावना की शुरुआत "हम, भारत के लोग..." से होती है, जो इस बात पर ज़ोर देता है कि संविधान का अधिकार भारत की जनता से आता है। इसमें 'संप्रभु', 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष', 'लोकतांत्रिक', 'गणतंत्र', 'न्याय', 'स्वतंत्रता', 'समानता' और 'बंधुत्व' जैसे महत्वपूर्ण शब्द शामिल हैं।
प्रस्तावना में महत्वपूर्ण शब्द (Key Words in the Preamble):
संप्रभु (Sovereign): इसका मतलब है कि भारत अपने आंतरिक और बाहरी मामलों में पूरी तरह से स्वतंत्र है।
समाजवादी (Socialist): यह शब्द 42वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। इसका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करना है।
धर्मनिरपेक्ष (Secular): यह शब्द भी 42वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। इसका मतलब है कि भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है और सभी धर्मों को समान सम्मान दिया जाता है।
लोकतांत्रिक (Democratic): इसका अर्थ है कि सरकार का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है।
गणतंत्र (Republic): इसका मतलब है कि राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) एक निर्वाचित व्यक्ति होता है, न कि वंशानुगत शासक।
संविधान की प्रमुख विशेषताएँ (Salient Features of the Constitution):
दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान (World's Longest Written Constitution): भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा और सबसे विस्तृत लिखित संविधान है।
कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण (Blend of Rigidity and Flexibility): संविधान में कुछ प्रावधानों को आसानी से संशोधित किया जा सकता है, जबकि कुछ को कठिन प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।
संसदीय सरकार (Parliamentary Government): भारत में संसदीय प्रणाली है, जहाँ कार्यपालिका अपनी नीतियों और कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
एकात्मकता की ओर झुकाव वाला संघीय ढाँचा (Federal System with Unitary Bias): भारत का संविधान एक संघीय ढाँचा प्रदान करता है (शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच), लेकिन आपातकाल जैसी स्थितियों में यह एकात्मक हो जाता है।
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights): संविधान नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जो उन्हें राज्य के मनमाने शासन से बचाते हैं।
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy): ये सिद्धांत सरकार के लिए एक मार्गदर्शक हैं, जिनका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties): 42वें संशोधन द्वारा 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए, और बाद में एक और जोड़ा गया, जो नागरिकों से अपेक्षा करते हैं कि वे कुछ कर्तव्यों का पालन करें।
स्वतंत्र न्यायपालिका (Independent Judiciary): भारत में एक स्वतंत्र न्यायपालिका है, जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखती है।
निष्कर्ष (Conclusion): भारतीय संविधान की प्रस्तावना और उसकी विशेषताएँ एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण के दर्शन को दर्शाती हैं जो न्याय, स्वतंत्रता और समानता पर आधारित हो। यह न केवल सरकार को दिशा देती है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी परिभाषित करती है।